कुंभ मेला एक प्राचीन और पवित्र हिन्दू धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 वर्ष में चार प्रमुख स्थानों—इलाहाबाद (प्रयागराज), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—पर आयोजित होता है। यह मेला उस समय आयोजित होता है जब ग्रहों की स्थिति विशेष रूप से अनुकूल होती है, और इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
कुंभ मेले का इतिहास अत्यंत प्राचीन है, जो वेदों और पुराणों में वर्णित है। इसे भगवान विष्णु के अमृत मंथन से जुड़ा हुआ माना जाता है, जब देवताओं और राक्षसों के बीच मंथन से अमृत निकला था, और इसे लेकर भगवान विष्णु ने इस स्थान पर स्नान किया था। तब से यह परंपरा चली आ रही है कि इस समय पवित्र नदी में स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आज के समय में कुंभ मेला एक विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक समागम बन चुका है, जिसमें लाखों श्रद्धालु और संत-महात्मा भाग लेते हैं। यह मेला न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में शांति, एकता और समृद्धि का संदेश भी फैलाता है। यहाँ पर विश्वभर से लोग आते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं, और अपने जीवन को धार्मिक और मानसिक शुद्धि की ओर अग्रसर करते हैं।
वर्तमान कुंभ मेला आधुनिकता और परंपरा का संगम है, जिसमें ऑनलाइन पंजीकरण, डिजिटल सेवाओं और बेहतर यातायात व्यवस्था के माध्यम से श्रद्धालुओं को अधिक सुविधा दी जाती है। यह मेला आज भी अपने ऐतिहासिक महत्व को जीवित रखते हुए एक नए रूप में समाज को जोड़ने का कार्य कर रहा है।
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